1. जलमेड़ै नै पोतड़िया होयां सरसी।
अर्थ: जो जन्मा है उसके लिये कोई ना कोई व्यवस्था होगी।
2. जकै गाम नीं जाणो बिंगो रा ही क्यूं पूछणो?
अर्थ: जिस काम को करना ही नहीं उसके बारे में सोचना क्यों?
3. जकै गाम मं लोभी बसै बठै निरधन भूखो सोवै क्यूं?
अर्थ:: लोभी बोहरा अधिक बियाज के चक्कर में उधार देता है।
4. जितां गी ताळ कोनी बितां गा मजीरा फूटग्या।
अर्थ: तअल से अधिक के मजीरे फूट गये।
5. जिता मूं बिती बात।
अर्थ: कोई कुछ कहता है, कोई कुछ।
6. जकी हांडी मं सीर कोनी बा चडतै ही फूटज्यै।
अर्थ: जिस हंडिया मेम अपना साझा नहीं वह भले चूल्हे पर चढाते ही फूट गये।
7. जिद पड़ेड़ो जाट तूंबो ही खाज्यै।
अर्थ: जिद कर लेने पर जाट तुम्बे जैसा कड़वा फल भी खा जाता है।
8. जाण ना पिछाण मं तेरो मेहमान।
अर्थ: अनजान का गले पड़ना।
9. जावंतै चोर गा झींटा ही चोखा।
अर्थ: दोड़ते हुये चोर कुछ भी हाथ आ जाये वही अच्छा है।
10. जावण लाग्यां दूद जमै।
अर्थ: शीत स्वभाव से हर काम को किया जा सकता है।
11. जापा जाया पदमणी झिंटा थोड़ा जूं घणी।
अर्थ: किसी औरत की गंदी संतान पर व्यंग्य।
12. दो घर डूबता एक ही डूब्यो।
अर्थ: जब पति-पत्नी एक जैसे गये-गुजरे हो।
13. दोनूं हात रळ्यां धुपै।
अर्थ: पारिवारिक सहयोग से ही कअम बनता है।
14. दो ड़ै बठै एक पड़ै।
अर्थ: दो आदमी लड़ते है तो उनमें से एक गिरता है।
15. धन तो घिरती-फिरती छियां है।
अर्थ: धन तो छायां की तरह अस्थायी है।
16. धन धणियां गो गुवाळियै गै हात मं लाठी।
अर्थ: ग्वाला जिन पशुओं को चराता हैवे तो दूसरों के है उसकी स्वयं की तो केवल लकड़ी हैजिससे वह पशुओं को हांकता है।
17. धोबी गो गंडक घर गो ना घाट गो।
अर्थ: धोबी का कुत्ता घर का न घाट का।
18. धोळै पर दाग घणो दीखै।
अर्थ: पहले से ही कलंकित आदमी कोई बुरा काम करे तो उसकी उतनी निंदा नहीं होती, लेकिन कोई भला आदमी ऐसा काम करे तो सबकी चर्चा का विषय बन जाता है।
19. नूईं नो दिन पुराणी सो दिन।
अर्थ: कोई भी वस्तु नई तो कुछ दिनों तक रह सकती हे, फिर तो वह दिन-प्रतिदिन पुरानी ही होती जाती है।
20. नगारां मं तूती गी अवाज कुण सुणै।
अर्थ: नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है।
21. नाम गगांधर न्हावै कोनी उमर भर।
अर्थ: नाम के अनुसार गुण न होना।
22. नाम तो बंसीधर आवै कोनी अलगोजो बजाणो ही।
अर्थ: नाम के अनुसार गुण ना होना।
23. नाम धापली फिरै टुकड़ा मांगती।
अर्थ: नाम के अनुसार गुण ना होना।
24. ना नो मण तेल होवै ना राधा नाचै।
अर्थ: वस्तु का अभाव होना।
25. नूओं बळद खूंटो तोड़ै।
अर्थ: काम का अनुभव ना होना।
26. पेलां पेट पूजा फेर काम दूजा।
अर्थ: पहले भोजन करना और फिर काम करना।
27. पग कादै मं अर कह जहाज मं बेठण दे।
अर्थ घृणा के रूप से देखना।
28. पांगळी डाकण घर गां न ही खावै।
अर्थ निकृष्ट आदमी अपने घर वालो को ही पीडा पहुँचाता है।
29. पांचु आंगळी एक सी कोनी होवै।
अर्थ घर या समाज के सब लोग एक जैसे नही होते।
30. पांत मं दुभात क्यांगी।
अर्थ एक ही पंक्ति मे बैठाकर भोजन कराने वालो के साथ भेद भाव नही होना चाहिए।
31. पाणी पी गे के जात पुछणी।
अर्थ पानी पीने के बाद जाति क्या पुछना।
32. पापी गो अंत आये बिना कोनी रैवै।
अर्थ पापी व्यक्ति का एक दिन अन्त आता ही है।
33. पापी गो घड़ो भरगे फूटै।
अर्थ पाप का घड़ा भरने पर ही फूटता है।
34. पाईये गी हांडी मं सेर कद खटावै।
अर्थ कंगाल के पास थोड़ी सम्पति आ जाने से ही वह इतराने लगता है।
35. पापी गे मन मं पाप बसे।
अर्थ पापी के मन मे सदा पाप भावना ही बसती है।
36. टेम उड़ज्ये पण बात रेज्यै।
अर्थ समय निकल जाता है परन्तु किसी के द्वारा कही बात याद रह जाती है।
37. बद चोखो बदनाम बुरो ।
अर्थ बद अच्छा है बदनाम बुरा।
38. बाजे पर तान आवे।
अर्थ निष्चित समय आने पर काम करना ही पडता है।
39. बाड़ खेत ने खावे।
अर्थ जब रक्षक ही भक्षक बन जाऐ।
40. बाप न मारी लूकड़ी,बेटो तीरंदाज।
अर्थ बाप ने तो कभी चूहिया भी नही मारी और बेटा तीरंदाज बना फिरता है।
41. बादल गी छायां ऊं किता दिन काम सरै।
अर्थ बादल तो अस्थायी होता है, उसकी छायां से कितने दिनों तक काम चलता है।
42. बाणियो लिखै पडै करतार।
अर्थ: बाणिये की लिखावट को ईश्वर ही समझता है।
43. बादळ गरमी करै, जद बरसण गी आस।
अर्थ: जब बादल गर्मी करते है तभी वर्षा होने की आसा रहती है।
44. ऐक हूं दो भला।
अर्थ: एक से दो अच्छे हैं।
45. कद मरी सासू, कद आया आंसू।
अर्थ: सास तो कभी की मर गई बहू अब बणावटी आंसू बहा रही है।
46. गठै राजा भोज, गठै गंगू तेली।
अर्थ: दोनों में कोई समानता नहीं, दोनों में दिन रात का अन्तर।
47. कदेई गाडी नाव पर, कदेई नाव गाडी पर।
अर्थ: आवश्कता अनुसार हर चीज का अपना महत्तव होता है।
48. कंगाल छेलो, बस्ती नै भारो।
अर्थ: दरिद्र शौकीन गाँव के लिये भार स्वरूप होता है।
49. कुंआरा गा के गाम न्यारा बसै है।
अर्थ: अविवाहित लोग भी गाँव के अन्दर ही रहते है।
50. गाडी नै देखगे लाडी गा पग सूजै।
अर्थ: गाड़ी को सामने देखकर कोई पैदल क्यों चलना चाहे।
51. बाज्यो न गाज्यो बीन राजा आ बिराज्यो।
अर्थ: न गाजे न बाजे, दूल्हे राजा आ बैठे।
52. गाडियै लुहार गो गिसो गाम?
अर्थ: गडोलिये लुहार घुमन्तु होते हैं, आज यहाँ तो कल वहाँ, इसलिये उनका कोई एक निश्चित गाँव नहीं होता।
53. गुड़ तो अंधेरै मं भी मीठो।
अर्थ: सत्यता छुपी नहहीं रह सकती
54. गुड़ डळियां, घी आंगळियां।
अर्थ: डली डली करके गुड़ और ऊंगली-ऊंगली करके घी समाप्त हो जाता है।
55. गुड़ बिना गिसी चोथ।
अर्थ: चौथ के व्रत में गुड़ का प्रयोग आवश्यक रूप से होता है।
56. गुलगुला भावै पर तेल गठैस्यूं आवै।
अर्थ: बिना साधनों के इच्छा पूर्ति कैसे हो।
57. घड़ी गो ठिकाणो कोनी अर नाम अमरचन्द।
अर्थ: मृत्यु के समीप होना और नाम अमरचन्द बताना।
58. घड़ै कुम्हार, भरै संसार।
अर्थ: कुम्हार मिट्टी के घड़े बनाता है और सारी दुनियां पानी भरती है।
59. घड़ै लारै ठीकरी मा लारै डीकरी।
अर्थ: घड़े के अनुरूप ठीकरी होती है और मा के अनुरूप बेटी।
60. घणी भगती चोर गा लखण।
अर्थ: अधिक भक्ति करने वाला अन्त में चोर निकलता है।