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  • बागड़ी कैबत 1-30

1. अक्ल बिना ऊँठ उभाणा फिरै
अर्थ: मूर्ख व्यक्ति साधन होते हुए भी उनका उपयोग नहीँ कर पाते।


2. अभागियो टाबर त्यूंहार नै रूसै
अर्थ: सुअवसर से भी लाभ न उठा पाना।


3. अम्बर को तारो हाथ ऊं कोनी टूटै।
अर्थ: आकाश का तारा हाथ से नहीँ टूटता।


4. अरडावता ऊँट लदै
अर्थ: दीन पुकार पर भी ध्यान न देना।


5. इसो भगवान्यो भोलो कोनी जको भूखो भेंसा मं जावै।
अर्थ: कोई मूर्ख होगा जो प्रतिफल की इच्छा के बगैर कार्य करे।


6. अगै–अगै बामण नईं नाला गरजते।
अर्थ: ब्राह्मण सभी कामोँ मेँ आगे रहता है परन्तु खतरोँ के समय पीछे ही रहता है।


7. अणदेखी न नै दोख, बीना गति न मोख
अर्थ: निर्दोष पर दोष लगाने वाले की कहीँ गति नहीँ होती।


8. अम्बर राच्यो, मेह मच्यो।
अर्थ: आसमान का लाल होना वर्षा का सूचक है।


9. अणपड आतम कही, मेह आवै अति घोर।
अर्थ: अधिक पित्त प्रकृति का व्यक्ति यदि दिन मेँ भी अधिक सोए तो यह भारी वर्षा का सूचक है।


10. आँख मीँच्या अँधेरो होय
अर्थ: ध्यान न देने पर अहसास का न होना।


11. आँख गेई संसार गयो, कान गयो हंकार गयो
अर्थ: आँख फूटने पर संसार दिखाई नहीँ देता वैसे ही बहरा होने पर अहंकार समाप्त हो जाता है।


12. आँख, कान, मोती, करम, ढोल, बोल अर नार।
अर्थ: ए तो फूट्या ना भला, ढाल, ताल, तलवार॥
ये सभी चीजेँ न ही टूटे-फूटे तो ही अच्छा है।


13. आँख्या देखी परसराम कदे न झूठी होय
अर्थ:  आँखोँ देखी घटना कभी झूँठी नहीँ होती। 


14. आँ तिलां मैँ तेल कोनी
अर्थ:  क्षमता का अभाव।


15. आंधा मेँ काणोँ राजा।
अर्थ: मूर्खोँ मेँ कम गुणी व्यक्ति का भी आदर होता है।


16. आम खाणा क पेड़ गिणना
अर्थ: मतलब से मतलब रखना।


17. आ रै मेरा सम्पटपाट, मैँ तनै चाटूँ तू मनै चाट
अर्थ: दो मूर्ख लोगोँ की बातचीत निरर्थक होती है।


18. आप गुरुजी उपदेस देवै, चेलां नै उपदेस देवै।
अर्थ: निठल्ले गुरुजी का शिष्योँ को उपदेश देना।


19. आडा आया माँ का जाया
अर्थ: कठिनाई मेँ सगे सम्बन्धी (भाई) सहायता करते हैँ।


20. आरे मेरा सम्पटपाट मं तनै चाटूं तूं मनै चाट
अर्थ:  मूर्ख का कार्य अव्यवस्थित होना। 


21. आप मरयां बिना सुरग कठै
अर्थ: काम स्वयं ही करना पड़ता


22. आज म्हे और काल थ्हे
अर्थ जो आज हम भुगत रहे हैँ, कल तुम भुगतोगे।


23. अणपड की पूनम, निरमल उगै चांद।
अर्थ: कोई सिँध कोई मालवे जायां कट सी फंद।


24. आदै थाणी न्याय होय
अर्थ:  बुरे/बेईमान को फल मिलता है।


25. आ छाय तो ढोलियां जोगी ही ही।
अर्थ: बेकार वस्तु के नुकसान का दुःख न होना।


26. अबी ताईं तो बेटी बाप कै ही है
अर्थ: अभी कुछ नहीँ बिगड़ा।


27. जिसा परथावां का बिसा ही गीत
अर्थ: जैसा विवाह वैसे ही गीत।


28. ईं गी मा तो ई नै ही जायो
अर्थ: इसके बारे मेँ अनुमान नहीँ लगाया जा सकता।


29. उत्तर पातर, मं मियाँ तू चाकर
अर्थ: उऋण होण में संतोष का द्योतक है।


30. उठै बलेगा, अठे का अठे
अर्थ:  एक स्थान की वस्तु दूसरे स्थान पर अनुपयोगी है।

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