राम नाम बिना मुकती ना होवै रेग्यो सुको लकड़ रे मनवा साचो नाम पकड़ रे.…(टेर)
भाई-बन्धु कुटम्ब कबीलो ज्या मं रोक दी जड़ रे
अन्त समय मं जावै एकलो जद तेरो मूळ ऊखड़ रे
राम नाम बिना मुकती ना होवै रेग्यो सुको लकड़ रे मनवा साचो नाम पकड़ रे.…(टेर)
आयो बुढापो आपो मरग्यो दुखै गोडा कड़ रे
जम गा दूत तनै आया लेजावण लेग्या चोट पकड़ रे
राम नाम बिना मुकती ना होवै रेग्यो सुको लकड़ रे मनवा साचो नाम पकड़ रे.…(टेर)
च्यार भाईयां गै कांधै चडग्यो लांबो रेड़ लियो तड़ रे
जाय जंगळ मं आग लगा दी जगरेयो अभड़-अभड़ रे
राम नाम बिना मुकती ना होवै रेग्यो सुको लकड़ रे मनवा साचो नाम पकड़ रे.…(टेर)
जे थ्हारै घर मं सतसंग होवै जावो जमां सूं अड़ रे
केवै कबीर सुणो भाई साधो जोगी बड़ो फकर रे
राम नाम बिना मुकती ना होवै रेग्यो सुको लकड़ रे मनवा साचो नाम पकड़ रे.…(टेर)
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